राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया गया

कु मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर में स्वामी विवेकानंद अध्ययन केंद के तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस के सुअवसर को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने के अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए l सर्वप्रथम प्राचार्या डॉ दिव्या नाथ द्वारा स्वामी जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया l तत्पश्चात विवेकानंद जी पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सरस्वती सम्मान से सम्मानित, डॉ कृष्ण कांत शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर मुल्तानीमल मोदी कालेज, मोदी नगर ने स्वामी विवेकानंद जी के प्रभावशाली व्यक्तित्व एवं उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद पुनरुत्थानशील भारत की सशक्त आवाज थे l भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म को वैश्विक स्तर पर पहचान और सम्मान दिलाने में उनका अभूतपूर्व योगदान है l स्वामी जी ने अपने युवा आह्वान में युवाओं को उनकी छिपी हुई प्रतिभाओं एवं अदम्य ऊर्जा का बोध कराया जो आज के समय में भी अति प्रासंगिक है l स्वामी विवेकानंद अध्ययन केंद के समन्वयक डॉ किशोर कुमार ने स्वामी विवेकानंद के समन्वयनकारी विचारों की प्रासंगिकता पर बल देते हुए कहा कि स्वामी जी धर्म के संकीर्ण स्वरूप के घोर विरोधी थे l उन्होंने शिकागो धर्म महासभा में अपने धर्म की महानता का उल्लेख करते हुए भी अन्य धर्मों को तुच्छ बताने की संकीर्णता नहीं अपनाई l उनके अनुसार धर्म का श्रेष्ठ स्वरूप समन्वयात्मक है l आध्यात्मिकता सर्वसमभाव और ब्रह्मानुभूति की अवस्था है इसीलिये भारतीय संस्कृति " वसुधैव कुटुम्बकम" की उद्घोषक है l स्वयं को श्रेष्ठ और दूसरों को तुच्छ समझने की भूल विनाशकारी है और यही से समाज तथा मानवता के पतन की शुरुआत होती है l किसी भी व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र की प्रगति साझेपन में है l कार्यक्रम की इस श्रृंखला में विवेकानंद जी से संबंधित एक डाक्यूमेंट्री भी छात्राओं को दिखाई गई और इसी क्रम में छात्राओं के लिए विवेकानंद पर मौखिकी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया l कार्यक्रम के अंत में प्राचार्या द्वारा स्वामी जी के "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए" इस प्रेरक वाक्य को आधार बनाकर छात्राओं में लक्ष्य प्राप्ति के लिए जोश भरते हुए कहा कि ज्ञान मात्र जीविका का साधन नहीं है l ज्ञान अनंत विकास का माध्यम है और यह विकास लौकिक और आध्यात्मिक दोनों है l हमें समन्वित विकास का लक्ष्य रखना चाहिए l अंत में डॉ किशोर कुमार द्वारा सभी का धन्यवाद व्यक्त किया गया l इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकगण एवं छात्राएं उपस्थित थीं l

  •               

Leave a comment